डॉ. रामबली मिश्र
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हरिहरपुरी की कुण्डलिया
पावन मन कैसे बने , इस पर सोच विचार।
विकृति बाहर फेंकते, करते रह उपचार।।
करते रह उपचार, दया सब के प्रति रखना।
सब के मन को सींच, कलश अमृत ले चलना।।
कहें मिसिर कविराय, बरसना बन मधु सावन।
उठे प्रेम का ज्वार, बने मन शीतल पावन।।
पृथ्वी सिंह बेनीवाल
31-Dec-2022 08:59 AM
बेहतरीन
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पृथ्वी सिंह बेनीवाल
31-Dec-2022 08:59 AM
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